अमरैया के छाँव म

गांव के अमरैया
हावे तरिया के पार म
बारो महीना हवा बहत हे सुर सुर
छाँव म हावे टूटहा झोपड़ी
डोकरी दाई सुलगाहे हे आगी
खुर खुर खांस्त हे
सड़क ल सुनावत हे
देख तो डोकरी दाई
अमरैया म जिनगी गुजारत हे
लोग लईका मन छोड़ दिन साथ
अब अमरैया म हावे रुख राई के बनके रखवार
जिनगी जियत हे अपन मन के अब भुलागे दुःख अउ खुसी के चोहना
बेटा जबले होंगे परबुधिया
अब कोनो निये पुछैया
बस रुख राई के बने हे रखवार अमरैया म अपन जिनगी काटत हे
जिनगी के पीड़ा ल गोहरावत हे
अमरैया के छाँव म
टूटहा झोपडी म धुंवा धधकत हे
देख डोकरी दाई जिनगी जीयत हे

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
कोसीर जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़
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One Thought to “अमरैया के छाँव म”

  1. युवराज वर्मा

    गजब सर जी
    बहुत सुंदर

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